रिश्तों की जमापूंजीसहेजे रखिये, सोने के कंगन की तरह... और बधाई भी.
ऊँगलियों से उतार के इन छल्लों को समय को सौंप आयें....और गुम जाएँ एक-दूजे में हम सदा के लिये......
रिश्तों की जमापूंजी
ReplyDeleteसहेजे रखिये, सोने के कंगन की तरह...
और बधाई भी.
ऊँगलियों से उतार के इन छल्लों को समय को सौंप आयें....और गुम जाएँ एक-दूजे में हम सदा के लिये......
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