Thursday, September 5, 2013

Together...



2 comments:

  1. रिश्तों की जमापूंजी

    सहेजे रखिये, सोने के कंगन की तरह...

    और बधाई भी.

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  2. ऊँगलियों से उतार के इन छल्लों को समय को सौंप आयें....और गुम जाएँ एक-दूजे में हम सदा के लिये......

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